हमें पिछली शताब्दी के क्रान्तिकारी प्रयोगों का समाहार करना होगा और वैश्विक व देश के पैमाने पर परिस्थितियों में आये बदलावों का खुले दिमाग़ से अध्ययन करना होगा।
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इस विषय में गांधी जी के शब्दों से ही इस चर्चा का समाहार करना उचित होगा-” गांधीवाद नाम की कोई चीज नहीं है और न ही अपने पीछे मैं कोई ऐसा संप्रदाय छोड़ जाना चाहता हूँ।